अमर गीतकार स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया जी के सुरता मा आज 07 जून 2020 के 71वीं जयंती के अवसर मा श्रद्धांजलि अर्पित करत एक गीत बलराम चंद्राकर के कलम से
*गीत*🎕🎕🎕🎕
गाना लक्ष्मण मस्तुरिया के, गूँजय गाँव-गाँव मा ।
बस्ती-बस्ती पारा-पारा, घर-घर ठाँव-ठाँव मा।।
गाना लक्ष्मण……………. ।
फिटिक अँजोरी निरमल छइहाँ, गीत सुहावय सुग्घर जी।
छइहाँ भुइयाँ छोड़ जवइया, सुन पछतावय अब्बड जी।।
तन डोले रे माँग फगुनुवा, जादू करय पाँव मा।
गाना लक्ष्मण……………. ।
नीक चँदैनी गोंदा कारी, बिधुन रहय गा नर नारी।
रामचंद के गाँव बघेरा, लगै मया के फुलवारी।।
संग चलव रे का लिख डारे, होगे अमर नाँव मा।
गाना लक्ष्मण………… ।
झुके नहीं गा थके नहीं गा, अउ अनीत ला सहे नहीं।
स्वाभिमान ले रहे सदा तँय, लिखे खरा गा सहीं सहीं ।।
स्वारथ बर तँय कभू कलम ला, डारे नहीं दाँव मा।
गाना लक्ष्मण…………..
बस्ती-बस्ती पारा-पारा, घर-घर ठाँव-ठाँव मा।
गाना लक्ष्मण मस्तुरिया के, गूँजय गाँव-गाँव मा ।।
*गीतकार*
बलराम चंद्राकर भिलाई