डॉ.पीसी लाल यादव |
मैं माटी महतारी अंव
जतन करव धरती के संगी, जतन करव रे |
जतन करव धरती के संगी, जतन करव रे ||
मोर जतन करव रे, मैं माटी महतारी अंव
सुख-दुःख के संग देवइया, संगवारी अंव |
तुंहर अंगना म ठाढ़े
जनम के भूखे – पियासे |
अपन तन के पछीना दे दव
मोर मन गद – गद हांसे ||
तुंहर हंडा – बसनी मैं, सरग के दुवारी अंव |
मैं माटी महतारी अंव ||
अपन आँखी के आँसू ल
तुमन मोला दे दव |
मोर होंठ के हाँसी ल
तुमन चुप्पे ले लव ||
तुहंर आँखी के सपना, मैं सोनहा थारी अंव |
मैं माटी महतारी अंव ||
तुहंर सपना के डार म
करम फुलवारी फुलही |
काबर कखरो आगू म ?
हाथ लमाये ल परही ||
देवारी के दिया मैं, फागुन के पिचकारी अंव |
मैं माटी महतारी अंव ||
डॉ.पीसी लाल यादव
पता- टिकरापारा, गंडई जिला – राजनांदगांव
contact – 9424113122