देखा किसान घर से निकलकर।
बादल गुपचुप कर रहे मिलकर।
पानी अब जोरो से बरसाना है।
धरती को हराभरा बनाना है।
झमाझम बारिश में।।
आए बादल घुमड़ घुमड़कर।
पानी बरसे पड़ पड़ सड़ सड़।
ओले जब पड़ने लगे तो
पेड़ टूटने लगे तड़ तड़।
झमाझम बारिश में।।
देर ना किया किसान भाई।
हल और लाठी साथ उठाई।
चला खेत की ओर भोर में।
पानी भरा हुआ हर छोर में।
झमाझम बारिश में।।
चले हल बैल हुई जुताई।
किसान ने किया बुआई।
फसल बहुत बढ़िया लहराई।
मुस्कान चेहरे पर आई।
झमाझम बारिश में।।
कुँए और तालाब लबालब
नदी और नहर गए है डूब।
हरे हो गए सूखे पेड़
दिखे प्रकृति का अनोखा रूप।
झमाझम बारिश में।।
स्वच्छ मंद सुगंध चली हवा
चलने लगी यो उड़ उड़ उड़।
भीग रहे पेड़ो पर बैठे पक्षी
पंख फड़फड़ा रहे फड़ फड़।
झमाझम बारिश में।।
हो गई कचरो की सफाई
साफ जगहों पर रौनक आई।
खिलने लगे मुरझाये फूल।
गायब हो गई धरती की धूल।
झमाझम बारिश में।।
*राम नारायण साहू “राज”*
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