जनता के प्रेम को ही सबसे बड़ा पुरस्कार मानते थे
साकेत साहित्य परिषद के रचनाधर्मीयों के प्रति वे बहुत वात्सल्य भाव रखते थे .वर्ष 2012 में मॉ भवानी मंदिर करेला धारा डोंगरगढ़ के प्रांगण में आयोजित 13 वॉ वार्षिक समारोह में उनका प्रथम बार आगमन हुआ .अखबारों में साकेत के वार्षिक समारोह के समाचार को पढ़कर वे करेला पहुंचे थे . माता के दर्शन के साथ ही साहित्य के प्रति अनुराग और साहित्यकारों के प्रति सम्मान भाव के चलते वे वहां पहुंचे थे . माता के दर्शन कर वे सीधे श्रोता दीर्घा में पहुंच गए. साकेत में हम सभी जिम्मेदार सदस्य खुमान सर जी के पास पहुंचकर आशीर्वाद लिए और हाथ जोड़कर मंच में विराजमान होने के लिए निवेदन किए.लेकिन स्वाभिमानी खुमान सर मंच पर जाने से मना कर दिया और ज्यादा जिद करने पर अपनी चिरपरिचित अख्खर स्वभाव में आ गए और बोले तुमन अपन काम करव अऊ मेहा अपन काम करत हव. तुमन ज्यादा ब्रेक मत लेन. मेहा मंच मा नई जाव क्रेन न मतलब नई जाव.