तोर आए ले सोन किरन
नाचही झूमर के।
मोर गाँव मा कभू तो रे
चिरैया उड़ि आबे ना।
तोर अँचरा के संग मा
पिंवरा धान हमर हाँसही।
देख के सुवा सुघराई
तोर गीत नवा भाखही
नाचही नचौरी सल्हई
संग म तोर घूमर के।
तोर पैरी के सुर मा
झूमत नदिया लहराही
निंदिया रानी रिंगी चिंगी
सुपना ले नैना सजाही
सावन झूलना झुलाही तोला
चढ़ती ऊमर के।
मउहा झर जाही बोली
गुरतुर तोर सुन के
रंग रंगाए लाली गुलाली
लजाही गोरी फागुन के
तोर जिवरा जुड़ाही आ के
छाँव मा डूमर के।
केदार दुबे
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