कला ही मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य
आप सभी मेरे गुरू की भांति पथ-प्रदर्शक
आगे भी आप लोगों के स्नेह का अभिलाषी
सामान्यत: व्यक्तित्व से अभिप्राय व्यक्ति के रूप-रंग, शारीरिक रचना और व्यवहार से अनुमानित होना माना जाता
है। वास्तव में व्यक्तित्व के विकास का क्रम अत्यन्त व्यापक तथा जटिल है।
व्यक्तित्व का अर्थ मनुष्य के व्यवहार की वह शैली है जिसे वह अपने आन्तरिक तथा
बाह्य गुणों के आधार पर प्रकट होता है। इस तरह व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के समस्त
मिश्रित गुणों का वह प्रतिरूप है जो उसकी विशेषताओं के कारण उसे अन्य व्यक्तियों
से भिन्न इकाई के रूप में स्थापित करता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के
प्रतिबिम्ब का प्रेक्षण उसके अवलोकन या उसके द्वारा की गई क्रिया के आधार पर
अनुमानित किया जा सकता है। चिन्तनशील, एकांकी, कर्तव्य परायण, व्यवहार कुशल, यथार्थ को अपने स्वभाव के अनुरूप ढालने का प्रयास एक
सफल मनुष्य के अंदर समाहित होते हैं। यहां इन उपरोक्त सभी बिंदुओं को आत्मसात करते
अपने कर्तव्यों का बेहतर निर्वहन के लिए वचनबद्धता लिए गोविंद साहू (साव) अपने
लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए लालायित हूं। मैं आगे इसमें कहां तक और कितना सफल
हो पाता हूं इसे भविष्य पर छोड़ता हूं, लेकिन अभी तक जो भी मैंने कार्य किया है उसमें आप सभी
का स्नेह और आशीर्वाद रहा है। इसी का परिणाम है कि मैं अपने लक्ष्य को पाने के लिए
अभी तक सफल ही होता आया हूं। मैं मूलत: अपने आपको लोक कला और लोक संगीत के लिए
समर्पित कर दिया है। मेरे पिछले कार्य पूरी तरह इसके लिए समर्पित रहे हैं और आगे
भी इसी कार्य में ही अपने आपको समर्पित कर देना चाहता हूं। मैं अपने आप में कितना
खरा उतरा, इसका मूल्यांकन भी आप सभी को करना है। मैं अपने
कर्तव्यों का उचित निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करता रहूं इसके लिए
मुझे जो भी त्याग के साथ जो भी आवश्यक हो, उसे करने में कभी पीछे नहीं हटूंगा। मैं अपने पिछले
कायोंर् का लेखा-जोखा आप लोगों के समक्ष आज रखा है आगे और भी अच्छे ढंग से किस तरह
मैं अपने मंजिल तक किस तरह पहूंच सकूं, इसके लिए आप लोगों की प्रतिक्रिया भी आवश्यक है जिसे
मैं सहजता से स्वीकार अपने पथ पर बढ़ सकूं। लोक कला दर्पण साप्ताहिक समाचार पत्र
का प्रकाशन भी मेरे उददेश्यों में से एक है जिसमें कला-साहित्य और कलाकारों को एक
मंच में समाहित कर आंचलिक लोक के संरक्षण और संवर्धन में एक महत्वपूर्ण कार्य हो
सके।इसी आशा और अपेक्षा के साथ मेरे अभी तक किए गए कार्य अवलोकनार्थ आप लोगों के
समक्ष प्रस्तुत है-
बचपन से ही मुझे लोक कला के क्षेत्र में रूचि रही है।
माता और पिता का स्नेह और प्रेरणा इस क्षेत्र में मुझे भरपूर मिला। इसी कारण मैं
एक लक्ष्य लेकर इस दिशा में ही अभी तक कार्य करते आ रहा हूं। स्कूली जीवन से ही
संगीत के प्रति लगाव मेरा होने लगा था। इसके बाद मैंने 1987 से लोकप्रिय राजनांदगांव की संस्था चंदैनी गोंदा में
जुड़कर बेंजो वादन करने लगा। यह यात्रा अभी तक मेरी निरंतर जारी है। इसके साथ ही
अनेक छत्तीसगढ़ी गीतों के आडियो, विडियो व एलबमों में बेंजो वादन और संगीत निर्देशन
किया है। मेरी संस्था मां कर्मा के बैनर तले मैंने मां कर्मा आरती, श्लोकावली और महामंत्र दोहावली का निर्माण किया है।
छत्तीसगढ़ी के अलावा हिन्दी, मराठी, गुजराती व उडि़या में फिल्म व एलबम का निर्माण मैंने
किया है।
छत्तीसगढ़ फिल्म मयारू भौजी, बनिहार, अंगना, नैना, मोर संग चलव के साथ ही के के कैसेट कंपनी, संुदरानी विडियो वर्ल्ड, शालीमार कैसेट, टी सीरिज और टी सी म्यूजिक, स्वरांजलि स्टूडियो रायपुर में संगीत हेतु अपना
योगदान दिया है। राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों में अनूप जलोटा जी के भजनामृत
आडियो कैसेट में बेंजो वादन तथा मशहूर फिल्मी पार्श्व गायकों के गायन में संगीत
दिया है। जिला साहू संघ राजनांदगांव में लोककला सांस्कृतिक प्रकोष्ठ में
जिलाध्यक्ष के रूप में दायित्व का निर्वहन मैं कर रहा हूं। अखिल भारतीय तैलिक
वैश्य महासभा में मेरी सक्रिय भूमिका रहती है। छत्तीसगढ़, मुंबई व कटक के रिकार्डिंग स्टूडियों में ख्याति
प्राप्त गायक गायिकाओं के लगभग 3000 से अधिक गीतों के
रिकार्डिंग में मैंने संगीत दिया है। लोककला एवं साहित्य संस्था सिरजन का
जिलाध्यक्ष का दायित्व मेरे ऊपर है। इसी तरह कला परंपरा के जिलाध्यक्ष का दायित्व
भी मेरे पास है। इसी कड़ी में शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं को लोक कला के माध्यम
से प्रचार-प्रसार का दायित्व भी मैंने समय समय पर अदा किया है।
साहित्यिक व लोककला की संस्था लोकसुर में भी मैंने
संगीत पक्ष में अपना योगदान दिया है। छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा लोक संगीत
संबंधित अनेक दायित्वों का निर्वहन मैंने किया है। इसके साथ ही अनेक सामाजिक व लोक
कला की संस्थाओं में अपने दायित्व का निर्वहन करते आ रहा हूं। आगामी समय में भी
लोक कला व लोक साहित्य से संबंधित जो भी दायित्व मुझे सौंपा जाएगा उसे पूरा करने वचनबद्ध
हूं।
अत: आप सभी का सानिध्य और स्नेह ही मुझे कार्य करने
के लिए प्रेरित रहे हैं। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है आगे भी मैं अपने
दायित्वों के निर्वहन में निश्चित रूप से खरा उतरूंगा।
जय जोहार
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संपादक
गोविन्द साहू (साव)
लोक कला दर्पण
contact- 9981098720
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