हो के मगन मन नाचय गंगाजली
हो के मगन मन नाचय गंगाजली
मोर मन के मिलौना मिले हे।।
आमा के डारी
कुहुकि पार के
बनकोइली चुड़काथे।
लाज के मारे
लजवंतिन मन के
फइका अपन उढ़काथे।
रुनझुन पैरी हाँसय गंगाजली
मोर मन के मिलौना मिले हे।।
बरेंडी मा बइठे
लाने संदेशा
कउँवा करय काँव।
सगुन बाँचय
धराये लगिन उँखर
संग मोर लेके नाव।
मने मन मोहरी बाजै गंगाजली
मोर मन के मिलौना मिले हे।।
सजे सिंगारे दुवार
मड़वा गड़े कस
अँगना मोर लागय।
अइना निहारेंव
रूप सँवरिया के
मुसुकी मारके झाँकय।
पोथी पिरीत के बाँचय गंगाजली
मोर मन के मिलौना मिले हे ।।
++ केदार दुबे
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