प्रदूषण धरा पर अब विकराल रूप ले रहा!
राक्षस बन मानव को नित निगल रहा!!
प्रदूषण के दोषी हम नित विचार करें जरा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा!!
वृक्षों को काट रहे स्वार्थ वश हम!
बदले में उतने वृक्षारोपण न करते हम !!
प्रकृति का संतुलन इससे नित बिगड़ रहा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा!!
थैले को भूल पॉलिथीन का करते उपयोग !
जानवर चारा समझ खाते हैं इसे रोज!!
गायों के दूध में पहले जैसे अब स्वाद न रहा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा!!
वाहनों की कतार लगी रहती है सड़कों पर!
निकलते धुएं प्रभाव डालते वायु, श्वसन तंत्र पर!!
मानव श्वांस में भी अब जहर निगल रहा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा!!
करते हैं फूल-पान नदियों में नित विसर्जित!
नालियों से गंदे पानी बहते हैं नदियों में नित!!
इस तरह पावन जल भी विषैला बन रहा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा!!
आओ वृक्ष लगा धरा सुंदर बनाएं!
नालियों का पानी नदियों में न बहाएं !!
धरती में प्रदूषण को हम कम करें जरा!
क्योंकि प्रदूषण को मानव ही बढ़ावा दे रहा !!
स्वरचित
श्रीमती पद्मा साहू खैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़
लोक कला दर्पण संपादक गोविंद साव जी के मार्गदर्शन से, सीमा साहू सीमा साहू द्वारा लोक कला दर्पण 20 अप्रैल 2020 ऑनलाइन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन कर रहे हैं, हम अपनी कला संस्कृति इतिहास को धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं, विशेष सजाने के लिए संयोजन करने के लिए लोक कला दर्पण का ऑनलाइन कार्यक्रम किया गया है,, यह कार्यक्रम 20 अप्रैल 2020 से चालू किया गया है, इसमें हाना जनौला ,खेती किसानी के औजार, रुख राई, जड़ी बूटी, सब्जी भाजी, गहना जेवर खानपान और महापुरुष के स्मरणांजलि, कर्मा, ददरिया, सुआ ,पंथी नृत्य, पंडवानी, गीता रामायण, के साथ-साथ पर्व के अनुसार, रथयात्रा के बारे में वरिष्ठ साहित्यकार सुधा शर्मा दीदी ने जानकारी दी , सुआ गीत, सुआ नृत्य, सुआ के बारे में , सीमा साहू ने आध्यात्मिक रूप से जानकारी दी गई, हमारे बीच पंडवानी गायिका रूही साहू ने, गायन के माध्यम से, किंचक प्रसंग, द्रोपति चीरहरण के बारे गीत के माध्यम से हमें जानकारी दी , रोज विषय ,वार , पर्व केअंतर्गत के अंतर्गत भजन की प्रस्तुति , कविता रचना कहानियां भेजी जाती है,कभी चित्र चलचित्र के माध्यम से रिकॉर्डिंग की जाती है, तभी श्रृंगार रस से भावविभोर होकर सभी बहने नृत्य करती है, राधा कृष्ण की प्रेम रस में डूब जाती है,हर शनिवार मंगलवार को हनुमान जी का भजन गाया जाता है, सावन उत्सव में बरखा रानी , मेघ मल्हार बनकर, सावन का गीत गाती है, मैके के याद में,माँ बेटी के साथ, पिता बेटी के साथ, मैके की याद में,झुला से लेकर विदाई के गीत गाती है, कभी रोती है कभी हंसती है, पर्यावरण के संरक्षण के लिए पौधे लगाती है, 4 -7-2020को हमने, विश्व पर्यावरण दिवस मनाये हैं, इसमें सभी बहनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, हमारे बीच कवियित्री इंद्रानी साहू, द्रोपति साहू, संगीता वर्मा, अरुणा जी, पदमा जी, धनेश्वरी देवांगन, अनुरुमा शुक्ला, गीता द्विवेदी, सुख मोती चौहान, कविता लेख रचना प्रस्तुत किए, पर्यावरण के पावन पर्व पर तुलसी चौरा बरगद नीम पीपल की पूजा की गई, पूजा प्रभारी हेमा साहू, माधुरी साहू, अन्नपूर्णा साहू, संचालन के रूप में, निशा साहू, सीमा साहू, आरती साहू, संगीता वर्मा, भारती साहू, त्रिलोकी साहू , गीत संगीत को प्रस्तुत करने वाली बहने-दानेशवरी साहू, देव कुमारी साहू, आरती साहू, उषा साहू, सुशीला साहू, भारती, जागृति कौशिक हिरवानी, माधुरी, शांति, चंपा ,शिव, जामुन, लीना, ममता, प्रेमलता, विद्या, तामेश्वरी, रंजना, गीता वर्मा,गुनेश्वरी, अहिल्या,
वरिष्ठगण-आदरणीय तुलसी साहू, आदरणीय दिव्या कलिहारी, उपासना जी, मंजूषा जी।
बंबई से-गायत्री साहू पत्रकार, संरक्षक निशा साहू जी, सीमा साहू लोककला दर्पण की प्रतिनिधि , द्वारा जानकारी दी गई, लोककला दर्पण के संपादक गोविंद साहू जी, और हमारे सलाहकार डॉ दीनदयाल साहू जी
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