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अन्नपूर्णा साहू |
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त्रिलोकी जी भिलाई |
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हेमा साहू (साहू मित्र सभा भिलाई नगर सचिव) |
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आरती साहू |
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गुनेश्वरी साहू |
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शांति साहू |
रिमझिम बरखा की फुहार
सावन की देखो आई बहार
शिवलिंग की करें पूजा-अर्चना,
महादेव को प्रिय यह महीना
,
बेलपत्र, धतूरा, जल चढ़ायें ,
बम-बम भोले कहते जायें।।
हर हर महादेव

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सावन आया, रिमझिम पानी।
बोल रहे हैं, हर -हर बानी।।
कांवर वाले, बम- बम बोले ।
जीवन प्यारा, तब रस घोले ।।
दीपक बाती,झिलमिल छाया ।
हो अवतारी,अनुपम माया ।।
थाल सजाती, शरण तिहारी ।
हे अविनाशी, सब नर नारी ।।
-------- अरूणा साहू
रायगढ़
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सावन आगे सावन आगे, जाबो शिव धाम।
बोल बंम बोल बम कांवरिया चले शिव धाम।
भोलेनाथ के दर्शन पाबो, जाबो शिव धाम।
बेलपत्री, कनेर धतूरा दूध चांउर चढ़ाबो सब धाम।
सावन आगे सावन आगे चलव जाबो शिव धाम।
शिव भोले ल मनाबो, पाबो सुंदर श्याम।
बोल बम बोल बम नाचत गावत कांवरिया चले शिव धाम।
चारो कोती जत्था निकले, सबे जपे शिव शिव नाम।
बेल पतिया, कनेर भांग धतूरा चढ़े शिव के नाम।
सावन आगे सावन आगे करबो सोमवारी उपास।
जल, दूध दही चंदन रोली चढ़ाबो पाबो सुंदर श्याम।
गांव गांव में होही सवनाही पूजा
रोग राई के रोके खातिर करही कई उपाय।
सावन के झिमिर झिमिर पानी में
चलव जाबो सबो शिव धाम
शिव बाबा ल मनाबो दर्शन पासों
इही जनम होही पुरन सब काम।
सावन आगे सावन आगे चलव जाबो शिव धाम,,,,,।
संगीता वर्मा भिलाई छत्तीसगढ़
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विधा -- कविता
विषय - झुम - झुम के आहि सावन
धरती दाई के कोरा हरियाही ।
तरिया नदिया छल - छलाही ।
मौसम हो जाहि मन भावन।
झुम - झुम के आहि सावन।।
सनन - सनन पवन पुरवइया ।
नाव , लहर संग गावय खेवइया ।
भोले मन्दिर लागय पावन ।
झुम - झुम के आहि सावन ।
अमरइया म बंधावय झूला ।
झुलव सँगवारी माई पिला ।
चलव जुरमिल सवनाही गावन।
झुम - झुम के आहि सावन ।।
मेचका टरर - टरर नरिवावय ।
झींगुर झीं- झीं सुर लमावय ।
चिखला माताय गली आँगन ।
झुम -झुम के आहि सावन ।
रिम-झिम फुहार सुग्घर लागय ।
भाई बहिनी म मया बाँधय ।
राखी तिहार लागय पावन ।
झुम - झुम के आहि सावन ।
पुष्पा गजपाल "पीहू"
महासमुंद (छ. ग.)
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