बहन बेटियोका मन बहुत खुश हो जाता है
जब भाई भावज का पीहर से संदेशा आता है।
उन्हें उपहार रूपया और पैसा कुछ नहीं भाता है भाई दो शब्द बोल दे तो दिल भर भर आता है।
बाबुल का घर सदा उनके लिए जेहन में ही रहता है पिता की कुशलता का प्रश्नन सदा मन में होता है।
खुद बूढ़ी हो जाये पर दिल तो बच्चा रहता है।
मां का आंचल उनके इर्द गिर्द लिपटा रहता है।
खुद की थकान का मायके जाके निदान होता है।
दो पल सकून की नींद से मन तारोताजा होता है।
पीहर में जब सभी बहनों का संग साथ होता है।
दीवारें चहक उठती हैं जब उनका मिलाप होता है।
भाभी की मनुहार से मन पुलकित हो जाता है।
भाई भावज से बाबुल के आंगन पे गर्व होता है।
अन्नपूर्णा का चेहरा परोसी। थाली में दिखता है।
जब पसंद का भोजन पीहर में तैयार होता है।
पीहर आ के भाई में पिता का रुप दिखता है ।
भाई बहन की बातों में फिर बचपन चहता है।
भतीजो में इठलाते गणेशा का चेहरा दिखता है।
सुंदर स्तिथियों में मां शारदे का रुप खिलता है।
सावन के त्यौहारों का दिल बाग बाग हो जाता है।
भाभी प्यार से बुलाएगी राखी का धागा कहता है।
बहन बेटियो का उम्र ही पीहर से नाता होता है ।
उनकी सांस सांस से दुवा आशीर्वाद निकलता है।
बिदाई में शगुन के चावल फेंकने का क्षण आता है ।
पीहर मेंरा हरा भरा रहे बहन बेटी का मन कहता है।
गुणेशवरी गंजीर।
कसारीडीह दुर्ग
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