होवत हे खुश जम्मो प्राणी
बरसत हे बरसा रानी,
गिरत हे सुग्घर पानी.
घर हे जी खपरा छानी,
चुचवावत हे ओरछा पानी.
होवत हे खुश जम्मो प्राणी...
बादर हे गजब दानी,
भुइयाँ मा गिराथे पानी.
नांगर -बईला धर के किसान,
जावत हे करे बर खेती किसानी.
होवत हे खुश जम्मो प्राणी...
सुग्घर गावत हे कोइली रानी,
मेछरावत हे कुकुर कानी .
बतावत हे बबा हा रामायण के बानी.
कहत हे दाई हा सुग्घर कहानी.
होवत हे खुश जम्मो प्राणी...
बिछल के चिखला मा छोला जथे गोड़,
हो जथे भइया कई घांव हानि.
सुनत हे नाना हा रेडियो मा पण्डवाणी,
खल -खल हांसत हे देखव जी नानी.
होवत हे खुश जम्मो प्राणी...
ओमप्रकाश साहू" अंकुर "
सुरगी, राजनांदगांव
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