सावन के पुरवाई संघरा ,
राखी तिहार आय हावय।
रेशम के डोरी म भईया ,
जनम के मया बंधाय हावय।
दाई के रांधे गुलगुल भजिया ,
गठरी बाँध के लाबे।
भईया राखी म आबे नही ,
मोला तै बता दे.....।।2।।
बहिनी बाँधय राखी कहिथे ,
इही मोर तिजोरी आय।
मोर मया के कूची हरे ,
मत कहिबे काचा डोरी आय।
गाढ़ा हावय मया भईया ,
लहुँ म छपागे।
भईया राखी म आबे नही ,
मोला तै बता दे .....।।2।।
नानपन म संघरा खेलेन ,
रेंधे अऊ अगुवाय रेहेव ।
खोर गली अऊ रद्दा बाट म ,
अंगरी धर रेंगाय रेहेव।
तोर करेजा के कुटका हरों,
कइसे तै भुलागे।
भईया राखी म आबे नही ,
मोला तै बता दे......।।2।।
झन भूलाहु बहिनी मन ल ,
देखत रहिथन रद्दा ।
जियत भर के मया माँगेन ,
नई माँगन चद्दर ,गद्दा।
जियत भर ले पूछ्बे भईया,
कभू झन तिरियाबे ।
भईया राखी म आबे नही,
मोला तै बता दे .....।।2।।
ये मया के कठरी भईया ,
छूटय झन कभू काल म।
दुनिया के कोंटा म राहन ,
या रहिबो ससुराल म।
दाई ददा के सुरता ल ,
तोर मया म भुलाबे .।
भईया राखी म आबे नही ,
मोला तै बता दे .......।।2।।
किसम - किसम के राखी भईया,
रखिहव गा चिन्हारी।
बिता भर झगरहा गोठ म ,
करिहव झन किनारी ।
एके थारी म खावन कभू
तेला सुरता कर ले ।
भईया राखी म आबे नही,
मोला तै बता दे....।।2।।
ये राखी के मोल भईया ,
कभू झन भूलाहु ।
हर सावन के पुन्नी म ,
सुरता ल लमाहु ।
देखत रहिहौ रद्दा भईया,
गठरी धर के आबे।
भईया राखी म आबे नही,
मोला तै बता दे...।।2।।
हमर अंतस के आस हवय ,
जग म नांव कमावव।
अपन छाती के कोन्हा म ,
बहिनी बर जगा बनावव।
जन्म - मरण के बन्धन ,
कभू झन छरियाबे ।
भईया राखी म आबे नही ,
मोला तै बता दे ....।।2।।
पुष्पा गजपाल "पीहू "
महासमुन्द (छ. ग.)
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