भाई-बहन के स्नेह का
है यह पवित्र त्यौहार,
करती हूं इन्तजार भैया
आओगे ना इस बार,
विपत्ति की ऐसी घड़ी है आई
पर सुनी ना रहने दूंगी कलाई
अबके ईश्वर से माँग लूंगी,
तुम्हारी कुशलता की दुहाई
सुरक्षा के रेशमी धागे बाँधकर
माथे पर तिलक लगाऊँगी
रेशमी धागे से बँधा ये पवित्र रिश्ता
मायके से जोड़ता है नाता
जीवन भर मेरे सिर पर तुम्हारा
स्नेह भरा हाथ रहे
अब के राखी में आओगे ना भैया
करती है इंतजार यह बहना ।
अनुरमा शुक्ला
दुर्ग (छ.ग.)
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