तोर जिनगी उधारी के।2।
सबला हे जाना एकदिन,
बंधे आरी अउ पारी हे।।
1-छूटही जब तन से जी तोर सुवांसा।
उड जाही हंसा जी फेर अगासा।
नई तो बुतावै कभू मनखे के आशा।
सुन संगवारी रे-
सबला हे जाना एकदिन,
बंधे आरी अउ पारी हे।
2-काठ के बिछौना मा तोला सुताही।
फेर चारों कोना मा कांधा लगाही।
सबो झन जुरमिल तोला अमराही।2
मिलना है माटी मे।।2।
सबला हे जाना एकदिन,
बंधे आरी अउ पारी हे।
3-सबो सगा तोर घर आही जुरियाही।
तीने दिन मा करही जी तोर बिदाई।
तभे जाके तोर करजा छूटाही।2।
ये गौतम के बानी हे।2।
सबला हे जाना एकदिन,
बंधे आरी अउ पारी हे।
तोर जिनगी उधारी के।2।
सबला हे जाना एकदिन,
बंधे आरी अउ पारी हे।।
विनोद गौतम
लोक कलाकार/रंगकर्मी
0 टिप्पणियां