बड़ सुग्घर सावन महीना ,
लागय गजब भावन।
भईया के सुरता म बहिनी ,
मइके ल सोरियावन ।
भाई - बहिनी के मया आगू ,
कोरोना बइरी छाय हावय।
रमायण के सुरसा कस ,
मुहू ल लमाय हावय ।
कइसे जाहू राखी धरके ,
आँखी ल गढ़ाय हावय।
जनम - जनम के गठरी म ,
माछी कस झुमयाय हावय।
शोर संदेशा कइसे करहू ,
न चिठ्ठी न पतिया ।
चिठ्ठी घर म तारा झूलय ,
कोरोना धरय संदेशिया।
राखी धर के आहि बहिनी,
भईया जोहय बाट ।,
टुकुर - टुकुर बहिनी देखय ,
जोरा धर बइठे आंट।
भाई बहिनी के मया आगू ,
आवय कतको बाधा ।
ककरो टोरे नई टूटय ,
मया के पाका धागा ।
पुष्पा ग़जपाल
महासमुन्द
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