निशा साहू (मानस प्रवक्ता)बोरसी
*साँची - सुरभि*
*गुरु की महत्ता*
विधा - *चौपाई*
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गुरुवर के सम्मान में , सदा झुकाएँ शीश ।
उनके ही आशीष से , मिले मनुज को ईश ।।
मान सदा गुरुवर का करना ।
चरण धूलि निज मस्तक धरना ।।
ब्रह्मा विष्णु महेश वही है ।
गुरु सम कोई और नही है ।।
गुरुवर नाम नित्य उच्चारो ।
भाव नीर से चरण पखारो ।।
श्रद्धा सुमन चढ़ाओ पावन ।
गुरु गोविंद रूप मन भावन ।।
अनुपम ज्ञान ध्यान सिखलाते ।
गुरु ईश्वर की राह दिखाते ।।
कलुष हृदय के सब हर लेते ।
पावनता मन में भर देते ।।
ज्ञानामृत की धार बहाते ।
सत्य निष्ठ व्यवहार सिखाते ।।
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाते ।
मुक्ति मार्ग सबको दिखलाते ।।
बालक जान हमें दुलराते ।
उँगली थामे नित्य चलाते ।।
ज्ञान सुमन पथ में बिखराते ।
हर ठोकर से हमें बचाते ।।
गुरु ही ईश्वर गुरु ही पूजा ।
गुरु सम जग में और न दूजा ।।
मात पिता गुरु सखा हमारे ।
भाँति रूप धरि कष्ट निवारे ।।
महिमा अपरंपार तुम्हारी ।
गुरुवर सुखकर परउपकारी ।।
अंतर के पट खोल जगाते ।
सत्य कर्म का ज्ञान कराते ।।
मैं हूँ पापी अति खल कामी ।
अपने हाथ बढ़ाओ स्वामी ।।
एक तुम्हीं आधार हमारे ।
जनम जनम के काज सँवारे ।।
बीच भँवर में डगमग नैया ।
कोई भी न दिखे खेवैया ।।
खेवनहार गुरु बन जाते ।
भवसागर से पार लगाते ।।
गुरु की महिमा जो लिख पाए ।
साँची कलम कहाँ से लाए ।।
गुरु चरणन में ध्यान लगाए ।
नित श्रद्धा के सुमन चढ़ाए ।।
गुरु कुम्हार सम ही गढ़े , नित नूतन घट एक ।
प्रेम ताड़ना ज्ञान से , कर्म सिखाए नेक ।।
इन्द्राणी साहू"साँची"
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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गुरुवे नमः सभी करते हैं ।
सद्गुण से झोली भरते हैं ।
तुम मात पिता हो औ भ्राता ।
तुम्हीं मुक्ति के होते दाता ।।
भूल क्षमा कर हृदय लगाते ।
सारे अवगुण दूर भगाते ।।
तज मिथ्या सत बोल सिखाते ।
दिशा बोध भी सभी दिखाते ।।
-------- अरूणा साहू
रायगढ़
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*ध्रुव पंक्ति*
*दोहगीत*
गुरु दाता ज्ञाता परम, आज करें गुणगान।
गुरु से ज्ञान मिले सदा, गुरु से ही पहचान।
गुरु की महिमा जान लो, शिक्षा देत अपार।
ज्ञान दीप सुंदर जले, करते हैं उद्धार।
ज्ञान वान हम भी बने, लोग करे जी मान
गुरु से ज्ञान मिले सदा, गुरु से ही पहचान।।
मां से मिलता है हमें,अतुलित ज्ञान अपार।
गुरु बन शिक्षा दे पिता, सपना हो साकार।
गुरु की महिमा से बढ़े, जग में अपना शान।
गुरु से ज्ञान मिले सदा, गुरु से ही पहचान।
जीवन भर है सीखना, मिले ज्ञान अनमोल।
शिक्षा अर्जन सब करे,आँको ना तुम मोल।
मिट्टी गीला पिलपिला, गुरुवर हम को जान।
गुरु से ज्ञान मिले सदा, गुरु से ही पहचान।।
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संगीता वर्मा
भिलाई
*गुरु पूर्णिमा की आप सभी को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं*
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