पोरा माटी के धरे, संगी बाँहीं जोर।
भाँठा मा सकलाय के, पटक-पटक दँय फोर।।
पटक-पटक दँय फोर, करँय सब हँसी ठिठोली।
होवय मेल मिलाप, मया के बोलँय बोली।।
कहय अमित ए गोठ, बछर भर रहय अगोरा।
खेलँय बिक्कट खेल, सबो ला भावय पोरा।।
गुझिया खुरमी ठेठरी, घर-घर मा ममहाय।
पोरा मा भर-भर भरे, पटक बिपत बिसराय।।
पटक बिपत बिसराय, फोर के बाटँय नरियर।
बाढ़य धन अउ धान, रहय धरती हा हरियर।।
कहय अमित ए बात, सजे हे जाँता चुकिया।
नँदिया बइला खाप, खाँय सोंहारी गुझिया।।
आवत हे लेवाल हा, बहुते मन अकुलाय।
तिजहारिन के मन कहय, मइके गजब सुहाय।
मइके गजब सुहाय, ददा दाई के अँगना।
कभू टूट नइ पाय, लहू के बज्जर बँधना।
कहय अमित ए बात, रीत अब्बड़ सहँरावत।
आज हमर लेवाल, डहर मा होही आवत।
तिजहा लुगरा साल के, देथे खुशी अपार।
बेटी बहिनी तीज मा ,पाथें मया दुलार।।
पाथें मया दुलार, ददा दाई के कोरा।
लगे रथे बड़ आस, आय कब तीजा पोरा।।
गुनव अमित के गोठ, मया मा अंतस सिजहा।
सुघर चलागत सार, बिसाथें लुगरा तिजहा।
तीजा पोरा नेंग के, सुंदर हावत बात।
रहि उपास सब निरजला, खा के करुहा भात।।
खा के करुहा भात, रातभर सुनँय कहानी।
अमर रहै सेंदूर, इही माँगय वरदानी।।
कइसे बनही बात , करेला हा बिन बीजा।
पुरखौती के रीत, हमर ए पोरा तीजा।।
चूरी टिकली फुंदरी, माहुर बिन्दी सार।
तिजहा लुगरा पोलखा, सुग्घर तीज तिहार।।
सुग्घर तीज तिहार, लागथे खारा मीठा।
जुरमिल सबो बनाय, हाँस के रोटी पीठा।
कहय अमित ए बात, मया जिनगी के धूरी।
मइके मान हजार, नेंगहा टिकली चूरी।।
कन्हैया साहू 'अमित'
शिक्षक.परशुराम वार्ड भाटापारा
जिला बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
गोठबात ~ 9200252055
0 टिप्पणियां