9 सितंबर पुण्यतिथि पर विशेष
स्मृति शेष....
छत्तीसगढ़ की इस पावन माटी में राजनांदगांव संस्कारधानी का एक अपना वर्चस्व स्थान है।संस्कारधानी कि इस माटी ने खेल जगत में जहाँ अपनी वर्चस्वता बरकरार रखीं हैं, वही यहां साहित्यकारों का पूरे देश में आपना एक अलग रूतबा है।सांस्कृतिक कला यात्रा में भी राजनांदगांव अछूता नहीं है, इतिहास साक्षी है कि सांगितीक जगत में आर्केस्ट्रा का पर्दापण संस्कारधानी से ही हुआ था।तो वही छत्तीसगढ़ निर्माण की सांस्कृतिक क्रांति मे भी राजनांदगांव के कलाकारों का अहम योगदान है।इन कलाकारों में एक प्रमुख नाम है संगीत निर्देशक एवं प्रसिद्ध बेजों वादक स्वं गिरजा कुमार सिन्हा जी का है।
छत्तीसगढ़ी लोककला संगीत, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत व फिल्मी संगीत में स्वं गिरजा कुमार सिन्हा का कोई शानी नहीं था।19 अक्टूबर सन् 1940 में जन्मे तथा 9 सितंबर 2016 को देवगमन कर गए स्वं गिरजा कुमार सिन्हा ने कई वर्षो तक सांस्कृतिक कला यात्रा को एक नया आयाम दिया।
सांस्कृतिक उपलब्धियाँ.
स्वं सिन्हा ने राजनांदगांव में संगीत को अपनी अमुल्य सेवाएं दी,नगर के अनेक संगीत समारोह में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।स्वं सिन्हा ने छत्तीसगढ़ की पहली आर्केस्ट्रा शारदा संगीत समिति एवं मिलन आर्केस्ट्रा में बतौर संगीत निर्देशक रहे।लोक संगीत विधा के तहत स्वं सिन्हा ने छत्तीसगढ़ स्तंभहस्त सुप्रसिद्ध ल़ोक सांस्कृतिक संस्था स्व.खुमान साव कृत चंदैनी गोंदा व सोनहा बिहान में सह संगीत निर्देशन किया था।उन्हीं दिनों दिल्ली के अशोक होटल में शासन द्वारा आयोजित दिल्ली दुरदर्शन में मुम्बई बालीवुड की मशहूर गायिका मुबारक बेंगम और मशहूर अभिनेत्री व गायिका टून टून (उमादेवी) के साथ बेंजो पर संगत किया।इसी क्रम में स्वं सिन्हा जी ने डेजी ईरानी, हनी ईरानी जैसे नामचीन कलाकारों के साथ मंच प्रस्तुतियों दी।
लोककला उत्थान हेतु संस्था का सृजन....
स्वं गिरजा कुमार सिन्हा जितना प्यार फिल्मी संगीत, शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत से करते थे, उतना ही जुडाव उन्हें लोकसंगीत से भी था।इसी बीच लोकजगत के बघेरा दुर्ग के दाऊ युगदृष्टा, स्व रामचन्द्र देशमुख ने चंदैनी गोंदा का विर्सजन कर सन् 1983 में नई संस्था अनुराग-धारा की संरचना कर इसकी बागडोर स्व गिरजा कुमार सिन्हा को सौंप दी।जिसमें स्वं भैय्यालाल हेडाऊ, स्व संतोष टाँक श्रीमती कविता वासनिक, श्री विवेक वासनिक, श्री विजय मिश्रा (अमित)प्रभू सिन्हा, ईश्वर मेश्राम इत्यादि ख्यातिलब्ध कलाकारों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर पूरे देश और विभिन्न प्रदेशों और राज्यों में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों की ढेर सारी वाहवाही लूटी।समांयाँतर स्वस्थ्य संबधी समस्या आने पर उन्होंने अनुराग-धारा लोकमंच की कमान श्री विवेक वासनिक को सौंप दी।जिसे आज भी निरंतर विवेक वासनिक एवं श्रीमती कविता वासनिक उनके उद्देश्यों को लेकर निरंतर संचालन कर रही हैं।
अंतिम अभिव्यक्ति....
स्व सिन्हा जी को बचपन से ही संगीत के प्रति रूझान था।उन्होंने ने अपने मन की सांगितीक अभिलाषा को जीवंत रखने के लिए रामाधीन मार्ग स्थित अपने निवास पर जिले का प्रथम सुराज डिजिटल स्टुडियो की स्थापना की, और इसी स्टुडियो में रिकॉर्ड किया गया सुपर हिट जसगीत (तै आँसू बोहाय दाई ) का सुमधुर संगीत निर्माण किया।स्वं सिन्हा के संगीत ज्ञान ने समाज में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को प्रभावित किया।और इसी का प्रमाण है कि आज आपके शिष्य संगीत की ऊचाईयों को प्राप्त कर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे. इन्हीं शिष्यों में आपके पुत्र प्रशांत कुशवाहा कुशल रिकार्डिस्ट के साथ साथ प्रतिभाशाली संगीतकार भी हैं और संस्कारधानी की साँगितीक यात्रा को अविरल प्रवाहित कर रहे है।राजनांदगांव कि यह माटी उनके साँगितीक क्षेत्र के योगदान को अपने स्मृतियों मे संजोए रख अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते है।
रवि रंगारी की कलम से.
(ब्यूरो चीफ)
लोक कला दर्पण
राजनांदगांव
मो,9302675768
1 टिप्पणियां
चंदैनी गोंदा का विसर्जन 22 फरवरी 1983 को हुआ था। कृपया 1957 को 1983 कर लीजिए।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी और ज्ञानवर्द्धक जानकारी हेतु आभार।